प्रिय कलम,
नमस्ते..! 🙏🏻
आज मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार साझा करना चाहती हूँ। आपने हमेशा मेरी मदद की है, लेकिन मैं यह मानती हूँ कि गलती भी एक दरवाजा होती है..। एक ऐसा दरवाजा जो हमें नए अनुभव और सीखने के अवसर प्रदान करता है।
जब भी मैं किसी गलती का सामना करती हूँ, मुझे आपके साथ का अहसास होता है। आप मेरे विचारों और भावनाओं को सही दिशा देने में मदद करती हैं। गलती के दरवाजे को खोलकर, आप मुझे सही मार्ग दिखाती हैं और मेरे शब्दों को सृजन की ओर ले जाती हैं।
सच्चाई यह है कि हर गलती हमें कुछ नया सिखाती है और आपके साथ यह यात्रा और भी अर्थपूर्ण हो जाती है। आप उस दरवाजे को खोलने में मेरी मदद करती हैं, जिससे मैं अपने विचारों को स्पष्ट और सही ढंग से व्यक्त कर सकूँ।
इसलिए, मैं आपके प्रति हमेशा कृतज्ञ रहूँगी । आपकी मदद से, मैं हर गलती को एक नए अवसर के रूप में देखती हूँ और अपने लेखन को और भी बेहतर बनाने का प्रयास करती हूँ।
धन्यवाद..! 😊
आपकी,
©सौ. सुचिता वाडेकर.. ✍🏻
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